Reported By : Raj Laxmi
Published On : March 27, 2021
ये पूरा विश्व एक रंगमंच है और हम इस रंगमंच के कलाकार। यहाँ सबका आना-जाना तय रहता है। एक किरदार इस रंगमंच पर कई किरदार जिता है। ये बेहद ही प्रसिद्ध बात शेक्सपियर ने कही थी, जो कि इतिहास में बहुत बड़े नाट्यकार थे। उनकी उपोरक्त इन पंक्तियों ने हर इंसान को एक रंगकर्मी की तरह पेश किया। सिर्फ इतना ही नहीं उन्होंने इसे आम लोगो से जोड़ कर हमारा एक हिस्सा बना दिया। और रंगमंच की कहानी यहीं से शुरू होती है।
1961 में मिली विश्व रंगमंच दिवस को औपचारिक पहचान
यूं तो आपको इतिहास के पन्नों में कई जीवित रंगमंच की कहानियां देखने को मिली होंगी परंतु सही मायने में इसे पहचान वर्ष 1961 में मिली जब इंटरनेशनल थिएटर इंस्टिट्यूट ने इस दिन की स्थापना की थी। जिसे आज हम विश्व रंगमंच दिवस के रूप में 27 मार्च को मना रहे हैं। आज इस पहचान को रंगकर्मी एक उपलब्धि के तौर पर देखते है।
रंगमंच हमारी संस्कृति का रहा है अभिन्न हिस्सा
यदि हम रंगमंच को खूद से जोड़ने का प्रयास करेंगे तो हम समझ पाएंगे कि कहीं न कहीं हम इससे जुड़े हुए है। ये समाज इसका एक अभिन्न हिस्सा है। हमनें अक्सर बचपन में नुक्कड़-नाटक का आनंद लिया होगा। कई आध्यात्मिक किरदारों का जीवंत नाटकीय मंचन देखा होगा। लोगों की सड़कों पर नाटक के माध्यम से जागरूक करते देखा होगा। ये सभी पहलू रंगमंच के स्वरूप को केंद्रित कर रहे है। और इन्ही माध्यमों से हम रंगमंच से जुड़े रहते है।
देखिए विश्व रंगमंच दिवस के अवसर पर ख़बरखण्ड की खास पेशकश…
https://www.facebook.com/khabarkhand/videos/156735106309825/
रंगमंच बनाता है एक कलाकार को बेहतर इंसान
आज रंगकर्मियों की माने तो रंगमंच कभी भी मृत नहीं हुआ। कई समस्याएं आईं, बाधा आई, चुनौतियां भी आई परंतु रंगमंच कभी भी हारा नहीं बल्कि सबका डट कर मुकाबला किया। इसके कलकार केवल अभिनय नहीं करते बल्कि उस अभिनय से खुद को संवारते भी है। ये भी एक अच्छी वजह है कि रंगमंच लोगों को एक अच्छा इंसान बनने में भी मदद करता है। कहा जाता है जो एक बार रंगमंच को जीता है वह फिर उसी रंगमंच का हो कर रह जाता है।
लॉकडाउन में रंगकर्मियों ने निभाया संघर्षपूर्ण किरदार
यानी कि अपने सम्पूर्ण समर्पण के साथ एक रंगकर्मी खुद को तैयार करता है। परंतु पिछले कुछ दिन दिनों का प्रभाव से रंगकर्मी अछूते नहीं रह सके। लॉकडाउन की पीड़ा ने उनसे मंच छीन लिया। जो कि किसी के लिए भी सबसे मुश्किल वक्त माना गया। परंतु शेक्सपियर ने पहले ही कहा था एक कलाकार कई किरदार निभाता है। संघर्ष का यह किरदार भी उनके हिस्से से पार हो गया।
रंगकर्मियों के कारण हमेशा ऊंचा रहेगा रंगमंच का दर्जा
लॉकडाउन ने रंगमंच पर मुसीबतों की गाज तो गिराई ही लेकिन साथ ही एक दूसरा विकल्प भी दिया। वह दूसरा विकल्प है ऑनलाइन मोड, जिसपर आज पूरा देश चल रहा है। इस दरमियान कलाकारों ने ऑनलाइन मोड पर रंगमंच की बारीकियों को जाना, सीखा और साथ ही अभिनय भी किया। आज भले ही देश भर में सिनेमा और ओटीटी प्लेटफॉर्म का दौर हो परंतु रंगमंच इन माध्यमों से सबसे ऊंचा है। जिसके पीछे की वजह है इसके रंगकर्मी, जो आज विभिन्न माध्यमों में जाकर अपने अभिनय का जादू बिखेर रहे हैं। इसे मैं केवल जादू नहीं कहूंगी बल्कि ये उनकी मेहनत है, जिसकी कशिश आज हमें बड़े वरदे पर देखने को मिल रही है।
भारत के महान फर्राटा धावक मिल्खा सिंह का एक महीने तक कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद शुक्रवार (18 जून) को निधन हो गया। उनके परिवार के एक प्रवक्ता ने…
June 19, 2021ऑनलाइन के इस ट्रेंड में चीज़े जितनी आसान हुई है, वहीं ऑनलाइन फ्रॉड व साइबर क्राइम की संभावना भी अधिक हो गई है। इसी तरह ऑनलाइन मेडिकल इक्विपमेंट्स की खरीदारी…
June 17, 2021इन दिनों उत्तर प्रदेश में एबीपी के पत्रकार की संदेहास्पद स्थिति में मौत का विषय काफी राजनीतिक सुर्खियां भी बटोर रहा है। दरअसल, सुलभ श्रीवास्तव ने अपने मौत के ठीक…
June 14, 2021