Reported By : Desk
Published On : July 18, 2020
जमशेदपुर: बिष्टुपुर में एक व्यक्ति जिसकी उम्र 45 वर्ष के आसपास रही होही, अचेेत अवस्था में पड़ा था। लोग आस पास से आ जा रहे थे। तभी झारखण्ड ह्यूमैनिटी फाउंडेशन के उपाध्यक्ष वहां से गुज़र रहे थे। उन्होंने उस तड़पते यूवक की मदद के लिए कदम बढ़ाया, लेकिन न तो टाटा और न ही सरकार की तरफ से एम्बुलेंस मिली। बल्कि सभी ने एम्बुलेंस देने से इंकार किया।
टाटा मेन हॉस्पिटल ने एम्बुलेंस देने से किया इंकार
मामला बिष्टुपुर राम मंदिर के अपोज़िट हीरो हौंडा शोरूम के सामने मेन रोड का है। जहां वह यूवक पड़ा हुआ था। जिसके मुंह से झाग निकल रहा था। राहत हुसैन ने तुरंत टाटा मेन हॉस्पिटल को फोन कर एंबुलेंस मांगाने की कोशिश की। लेकिन टाटा मेन हॉस्पिटल ने एंबुलेंस भेजने से इनकार कर दिया।
टाटा मेन हॉस्पिटल के कर्मी से की गई बातचीत की यू ट्यूब लिंक मौजूद है
इधर यूवक की हालत बिगड़ती जा रही थी। उसके बाद उन्होंने 108 नंबर डायल कर पुलिस प्रशासन से यूवक को बचाने के लिए सहायता मांगी। लगभग 2:45 पर पुलिस कंट्रोल रूम को मिली जानकारी के 20 से 25 मिनट बाद बिष्टुपुर पीसीआर की वैन आई। उन्होंने भी घंटे भर बस हाथ पर हाथ रखे बिता दिया और कुछ नहीं किया। रांची से 15 मिनट बाद +916516611111 इस नम्बर से कॉल आई कि अभी सरकारी एंबुलेंस खाली नहीं हैं।
ऐसे में सवाल उठता है कि एक व्यक्ति 45 मिनट तक अचेत अवस्था में बिष्टुपुर स्थित मेन रोड पर पड़ा तड़पता रहा लेकिन उसे सरकारी मदद तुरंत नहीं मिल पाई। उस टाटा के अस्पताल ने भी मदद नहीं की जो खुद के नाम की खातिर 1500 करोड़ रुपए प्रधानमंत्री केयर फंड में दे देता है लेकिन गरीब की जान बचाने के लिए एक एम्बुलेंस नहीं भेज सकता।
इधर कोरोना वायरस को लेकर आम पब्लिक भी मदद के लिए सामने नहीं आई। रही बात जमशेदपुर पुलिस प्रशासन की तो वह भी हाथ लगाने से बचती रही। और झारखण्ड ह्युमैनिटी फाउंडेशन के उपाध्यक्ष राहत हुसैन लगातार कोशिश करते रहे, अंत में MGM अस्पताल से एक घंटे बाद
MGM से आई एम्बुलेंस और मौके पर मौजूद पुलिस का हाल
घंटे भर PCR खड़ी रही लेकिन पुलिसकर्मियों ने उस बीमार यूवक के करीब जाना बेहतर न समझा। कमाल यह है कि कोविड के इस दौर में प्रशासन मास्क न लगाने पर 5000₹ फाइन वसूलता है, लेकिन मौले पर मौजुिद किसी भी पुलिसकर्मी ने मास्क नहीं लगाया था। अब इनसे जुर्माना कौन वसूलेगा? रही बात एम्बुलेंस की तो घंटे भर बाद वह पहूंची लेकिन उसमें एक भी तक्नीशियन मौजूद नहीं थे। बस ड्राइवर और खलासी वह भी बगैर PPE किट और मास्क के।
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