Reported By : विश्वजीत कुमार पाण्डेय
Published On : April 28, 2021
जिस पीएमसीएच का तारीफ करते माननीय सुशासन बाबू नहीं थकते थे वही पीएमसीएच का तस्वीर देख लीजिए, यह अस्पताल कम और तबेला ज्यादा नजर आता है। जहां डॉक्टर हर दिन हड़ताल पर चले जाते हैं, लोग अपनों को हर दिन बेमौत मरते हुए पटना के पीएमसीएच अस्पताल में देख रहे हैं।
लोगों के पास दवा नहीं है, लोगों के पास ऑक्सीजन नहीं है ,लोगों के पास बेड नहीं है लेकिन बिहार की निकम्मी सरकार को ना कुछ सुनाई नहीं देता है और ना कुछ दिखाई देता है।
वैसे भी बिहार का नेता हो विधायक हो मंत्री हो सब के सब इस समय अपने आप को सुरक्षित करने में लगे हुए हैं। इसलिए तो सड़क पर कोई भी मंत्री कोई भी विधायक कोई भी सांसद दिखाई नहीं देता है। आज ऐसा लगता है कि बिहार आत्मनिर्भर बन गया है और सांसद और मंत्री और विधायक हनीमून मनाने के लिए ऑस्ट्रेलिया और लंदन चले गए हैं।
आज लोग बिहार में अस्पतालों के बाहर यूं ही अपनों को दम तोड़ हुए देख रहे हैं तो कोई अपनों को रोड पर बेमौत मरते हुए देखना है। ऐसा भयावह दृश्य बिहार का विचलित करता है। यह हालात हमें सोचने पर मजबूर करता है कि क्या जो नेता, जो विधायक, जो मंत्री बड़े-बड़े सपने जनता को दिखाते हैं वह आज कौन सी बिल में छुप के बैठे हुए हैं। आज हमें समझ नहीं आता है कि लोग अपनों को बिहार में हर दिन ऑक्सीजन बेड दवा के बिना मरते हुए देख रहे हैं। बिहार की निकम्मी सरकार हर दिन फरमान सुना रही है हर दिन बिहार का स्वास्थ्य व्यवस्था को दुनिया में बेहतर साबित करने में लगी है। लेकिन कभी भी वहा के मंत्री विधायक और सांसद उस पीएमसीएच में इलाज कराने नहीं जानते हैं क्योंकि खुद तो अपने इलाज करने के लिए अमेरिका और इजरायल और ऑस्ट्रेलिया निकल जाते हैं। गरीब जनता के लिए गटर वाला हॉस्पिटल बना कर छोड़ देते हैं। जहां डॉक्टर का कोई अता पता नहीं रहता है, कंपाउंडर का कोई अता पता नहीं रहता है, सफाई कर्मचारी का कोई अता पता नहीं रहता है, यहां तक कि इस कोरोना काल में सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है लेकिन पीएमसीएच की गंदगी देखकर ऐसा लगता है कि अस्पताल कम और कूड़ा कचरा का घर ज्यादा नजर आता है।
आज बिहार के अस्पतालों के ऐसी स्थिति आ गई की बिहार का सरकारी अस्पताल अस्पताल कम नजर आता है भैंस का तबेला ज्यादा नजर आता है। जहां अगर आपको डॉक्टर दिख जाए तो समझ लीजिए उस दिन ईद का चांद आ गया हो। ऐसी स्थिति में बिहार कोरोना महामारी से कैसे बाहर निकलेगा हमें समझ नहीं आता है।
और वैसे भी बिहार के विधानसभा में बैठने वाले आधे से अधिक ऐसे विधायक हैं जिन्हें अपनी संपत्ति को 4 गुना 5 गुना बनाना हैं। लेकिन लोगों के लिए एक सुरक्षित अस्पताल तक नहीं दे सकते हैं वाह रे बिहार सरकार!
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