Reported By : Desk
Published On : April 20, 2021
लोकतंत्र बहुत अच्छा शब्द है और सुनने में भी काफ़ी अच्छा लगता है लेकिन लोकतंत्र में कुछ इस प्रकार का दृश्य होता है जहां चुनावी जुमलेबाज नेता बड़े-बड़े घोषणा तो कर देते हैं
लेकिन ज़मीनी हकीकत उसके ठीक उल्ट होती है। आज भारत में अजब सा माहौल बना हुआ है। कहीं चुनाव चल रहें हैं, तो कहीं चिंताएं जल रही है। समझ में नहीं आ रहा है आख़िर हो क्या रहा है। आज महाराष्ट्र हो, दिल्ली हो, मध्यप्रदेश हो, उत्तर प्रदेश हो या देश का कोई भी राज्य, लगभग सभी राज्यों में कोरोना अपना विकराल रूप दिखा रहा है। सैंकड़ों की संख्या में लोग अपने प्रियजनों को इस महामारी में खो रहे हैं।
सत्तासीन भाजपा के तथाकथित नेताओं को कोई टेंशन नहीं है। उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है। आदमी ऑक्सीजन के बिना मर जाए बेड पर। वैसे भी हमारे देश का सरकारी चिकित्सा व्यवस्था इतनी कुव्यवस्थाओं से भरी है, जिसकी बानगी आप समय समय पर देखते ही रहते हैं।
इन सत्तासीन तथाकथित नेताओं से ज्यादा उम्मीद कीजिएगा तो यही होगा। क्योंकि हमारे देश के सत्ताधारी नेता कभी भी जीडीपी का अगर पांच परसेंट हिस्सा भी देश के सरकारी हॉस्पिटल पर खर्चा किए रहते तो आज यह दिन भारत को नहीं देखना पड़ता।
वैसे हॉस्पिटल के भरोसे आम इंसान की जिंदगी है। इसे ही आए दिन हमारे देश के तथाकथित नेता डिजिटल इंडिया बोलते हैं। सही बात है वैसे भी यूपी में श्मशान और कब्रिस्तान का चुनाव में बात हुई ही थी, तो वैसे भी आज श्मशान और कब्रिस्तान में भी लोगों को लाइन लगना पड़ रहा है और यहां तक कि हॉस्पिटल में बेड्स, वेंटिलेटर उपलब्ध नहीं है।
जहां मरीज का जिंदगी बचेगी कि नहीं, आए दिन मौत लोगों को डरा रही है। आए दिन परिजन अपने को खो रहे हैं। लेकिन हमारे देश के बड़े-बड़े नेता लोग जो है जो देश का भाग्य का फैसला करते हैं देश का रूपरेखा तैयार करते हैं, जब वही खुलेआम बंगाल चुनाव में रैली करते हुए नजर आए और खुलेआम चुनावी मेला का आह्वान करें तो भला उस देश से कोरोना को कैसे हराया जा सकता है। ग़ौर करने वाली बात यह है कि देश के होम मिनिस्टर स्वयं कोरोना गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाते हुए चुनावों में भाजपा के लिए वोटों की राजनीति कर रहे हैं, तो आप आम आदमी से क्या ही उम्मीद कर सकते हैं।
शायद यह सत्ताधारी नेता और बंगाल के विपक्षी नेता और केंद्र के विपक्ष के नेता शायद बेहतर बताएं। आज मुसीबत के घड़ी में इन नेताओं को इन मंत्रियों को इन सांसदों को इन विधायकों को जनता के साथ रहना चाहिए लेकिन आज यह लोग चुनाव प्रचार में व्यस्त हैं, और व्यस्त भी क्यों ना हो, किसी को सत्ता हासिल करनी है तो किसी को सत्ता जाने का डर है।वैसे भी हमारे देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को तो लाश पर राजनीति करते हैं । यह इनका इतिहास रहा है। भला यह कोरोना महामारी इन के लिए आपदा में अवसर बन के आया है। इन नेताओं को सोचना चाहिए कि आज जिस तरह से लोग हॉस्पिटल में ऑक्सीजन के लिए भटक रहे है , यही लोगों ने आपको वोट भी दिया था। कोई बेड के लिए भटक रहा है और यही नेता लोग चुनाव आते आते हैं डिजिटल हॉस्पिटल डिजिटल इंडिया डिजिटल डिजिटल इतना बखान करते हैं लेकिन आज खुद मुंह पर ताला लगाकर ऐसे बैठे हैं जैसे यह कुछ जानते ही ना हो । इनको कुछ पता ही ना हो साहब , लोकतंत्र चिंताएं जलने से मजबूत नहीं बनता है लोकतंत्र लोगों को बचाने से मजबूत बनता है ।
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