Published On : March 30, 2019
अंकित
2014 का चुनाव मेरी समझ से अबतक का सबसे मुद्दा विहीन चुनाव होने के साथ सिर्फ पूंजी की क्रूर ताकत से लड़ा गया।
पूंजी ने तमाम सूचना संचार माध्यमो से जनता को विश्वास दिलाया अब उनके कष्टों के निवारण को कोई अवतार आ गया है जो चुटकी मे भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, महंगाई भगा देगा और समानांतर हिन्दू हृदय सम्राट छवि, अल्पसंख्यकों से नफरत फैलाई भुनाई जा रही थी।
पहले कोंग्रेस के प्रति 2011 से ही अन्ना, रामदेव प्रायोजित आंदोलन मीडिया की मदद से खड़े कर गुस्सा भुनाया गया फिर मोदी के रूप मे चमत्कारी समाधान रख दिया।
आश्चर्य की बात है समझदार लोगों ने TV देखकर वोट दिया, वो TV जो आज सिद्ध हो चुका है कि मात्र भाजपा की चुनाव प्रचार मंडली है।
नफरती अविवेकी लोगों के लिए हिंदुत्व था।
दूसरे कुछ समझदार लोगों के लिए विकास का गुब्बारा।
अमेरिका से लेकर देशी पूँजीजगत का सहयोग, प्रचार इतना सुनियोजित था कि आशा से अच्छा परिणाम मिला। BJP और मोदी ने खुद नही सोचा था कि 283 सीटें उनकी पार्टी को मिलेगी जिसका अस्तित्व कुछ बड़े राज्यों तक है।
और फिर पर्दे के पीछे छुपा संघ खुलकर अपने नन्गे नाच पर आ गया।
जो नफरती एजेंडा संघ की शाखाओं और अटल जी जैसे कपटी मुखोटों तक सीमित था वो खुलकर देश मे उत्पात मचाने लगा।
जिसका मेरी समझ से फायदा हुआ.. जिन लोगों ने विकास पुरुष समझकर वोट दिया, अब उनके सामने विनाश पुरुष का भद्दा चेहरा स्प्ष्ट हो गया।
जिनको लगता है उनने BJP के चुनावी वादों पर वोट दिया! वो समझलें वो सिर्फ चमकीले प्रचार और षडयंत्र मे फंसे थे।
याद दिला दूँ BJP ने अपना चुनावी घोषणापत्र 2014 चुनाव प्रथम चरण समाप्त होने के बाद जारी किया!!
तो जो कुछ कहा गया वो महंगी रैलियों,भाषणों,विज्ञापनों की बकवास मात्र थी।
जाइये 2014 का BJP का चुनाव घोषणापत्र पढिये, जो कि आननफानन मे कोंग्रेस का कॉपीपेस्ट मात्र था।
अब अपनी मूर्खता पर सिर फोड़िये उसी कोंग्रेस का जिससे आप भारत मुक्त करना चाहते थे!!
अब 2019 पर आते हैं।
मेरी समझ से ये चुनाव 2014 से उलट जनमुद्दों पर होगा।
मुझे फिर आज बड़ी हंसी आ रही है जब कथित समझदार लोग कोंग्रेस(राहुल) की मिनिमम इनकम गारंटी घोषणा की तुलना 15 लाख के देश के साथ भद्दे मजाक से कर मजाक बना रहे हैं।
पहले घोषणा तो समझिये।
कोंग्रेस का कहना है वो प्रत्येक भारतीय की आय 12,000 प्रति माह सुनिश्चित करेगी।
यानी अगर किसी परिवार की आय 6000/- है तो बाकी 6000/- सरकार खातों मे ट्रांसफर करेगी।
यानी सरकार अनुमानित सबसे निचले 5 करोड़ परिवार पर 72,000 प्रति वर्ष तक सहायता देगी।
अब FB मध्यमवर्ग तो इस दायरे से बाहर है तो उसे क्यों हजम हो ये!!
राहुल ने मिनिमम इनकम गारंटी का जिक्र 2 महीने पहले छत्तीसगढ़ मे किया था और आज उसका मसौदा सामने रखा है.. उदाहरण देते की MNREGA से कोंग्रेस ने 14 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से उबारा था।
आंकड़े बढ़ा चढ़ाकर हो सकते हैं लेकिन भारत के इतिहास मे MNREGA सर्वश्रेष्ठ ग्रामीण रोजगार योजना थी।
अब मध्यमवर्गीय फिर चकित होगा इसने तो भ्रष्टाचार बढाया, शराबी गांव गांव हो गए!!
MNREGA UPA 1 कार्यकाल मे कम्युनिस्टों के सशर्त बाहरी समर्थन कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत कोंग्रेस को लागू करनी पड़ी।
MNREGA की बदनामी क्यों और कहाँ से हुई!!
गांवों के किसानों मे बड़ा द्वंद्व है।
MNREGA जैसी योजनाओं से जब खेतिहर मजदूर कुछ राहत पाता है तो मध्यमवर्गीय किसान बड़ा गुस्सा हो जाता है क्योंकि वो खेती खुद नही करता, भूमिहीन खेतिहर मजदूरों से करवाता है.. और मजदूरी महँगी होने से 2 खेमे बन जाते हैं।
यानी जहां सबसे ज्यादा सरकारी योजनाओं की जरूरत है उसी खस्ताहाल ग्रामीण इलाके मे मध्यम,उच्च वर्गीय किसान इन योजनाओं का विरोध करता है!!
विभिन्न देश विदेश के अर्थशास्त्रइयों ने इस योजना को उपयोगी लेकिन पूरी सफलता पर शक जताया है।
महान कुअर्थशास्त्री जेटली ने चिरपरिचित संघी अंदाज मे नेहरू को कोसते 70 साल को कोसा है!!
ये 70 साल कोसने मे ये भी भूल जाते हैं कि 11 साल इन संघियो के भी इस 70 मे शामिल हैं।
MNREGA को कोसते जिसे ये खुद खारिज करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए ब्लॉग लिखा है कि मोदी सरकार इससे सवा गुना पहले से गरीब उत्थान कर रही है!!
जिसमे पूंजीपतियों इंश्योरेंस कम्पनियों को लाभ पहुंचाने वाली फसल बीमा योजना, आयुष्मान भारत का जिक्र किया है!! जो अभी लागू होना बाकी।
साथ मे कहना चाह रहे हैं देश मे 12000 प्रतिमाह आय से कम वाले परिवार हैं ही नहीं!!
यानी इस योजना को कमतर बताया है।
दूसरी तरफ नीति आयोग अध्यक्ष राजीव कुमार ने इस योजना को चाँद तोड़ने का चुनावी वादा बताया है!!
सरकार पहले तय कर लो, ये योजना कमतर है या बड़ी!!
खैर हाल ही मे 5 राज्यों के चुनावों मे ये तय हो गया कि जनता जनमुद्दों पर वोट करेगी।
तो 2019 चुनाव 2014 से उलट जनमुद्दों पर होने वाला है।
सरकारों का दायित्व है कि प्रथम योजना सबसे गरीब तक पहुंचे।
अब कोई यहां आकर ये कहने वाला है कि इन योजनाओं से भ्रष्टाचार बढ़ता है तो मेरा सीधा जवाब है।
हे चोर मौकापरस्त पूंजीपतियों के तलवे चाटने वाले मध्यमवर्ग!! आपकी चोरी भ्रष्टाचार का खामियाजा निम्नवर्ग क्यों भुगते??
भ्रष्टाचार रुकना चाहिए या गरीबों के लिए योजना??
खैर।
दिल्ली मे 100 दिन प्रदर्शन करने वाले तमिलनाडु किसानों ने घोषणा कर दी है कि बनारस मे 111 किसान मोदी के खिलाफ नामांकन भरेंगे।
उद्देश्य किसान की आय दोगुना कर दूंगा जुमले पर विचार करवाना है.. आपको बता दूं विगत मोदी काल वर्षों मे किसान आय निम्नतर स्तर पर पहुंच गई।
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